लोक सेवा परीक्षा में देशभर में शीर्ष रहे लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने पिछले साल में आए सवालों का जमकर अभ्यास किया। टेस्ट सीरिज हल करने से आत्मविश्वास बढ़ा। इसके साथ ही सिलेबस को देखकर उसे कवर करने की रणनीति बनाई।
दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में सफल होना ही बड़ी उपलब्धि है। इनमें भी शीर्ष स्थान हासिल करने वालों की प्रतिभा हमें रोमांचित कर देती है। हम उनके मेहनत के तरीके, संघर्षों और कामयाबी की कहानियों से न सिर्फ उत्साहित होते हैं, बल्कि प्रेरणा भी पाते हैं। जानते हैं सिविल सेवा-2023 के टॉपर्स की ऐसी ही कहानियों के बारे में...
आदित्य श्रीवास्तव देश में प्रथम
40 लाख का पैकेज छोड़ा...पहली बार विफल रहे...दूसरी बार आईपीएस बने, तीसरी कोशिश में आईएएस
विफलताओं से हार नहीं मानने वालों के कदम सफलता भी चूमती है। इसका उदाहरण हैं सिविल सेवा परीक्षा में देशभर में शीर्ष रहे लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव। यूपीएससी में यह उनका तीसरा प्रयास था। पहले प्रयास में वे प्रारंभिक परीक्षा में फेल हो गए थे। हालांकि, दूसरे प्रयास में 236वीं रैंक के साथ आईपीएस बने। आदित्य फिलहाल हैदराबाद में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के प्रशिक्षु अधिकारी हैं। आदित्य के पिता अजय श्रीवास्तव सेंट्रल ऑडिट डिपार्टमेंट में सहायक लेखाकार हैं।
लबासना के निदेशक रहे मां के मामा बने प्रेरणा
आदित्य की मां के मामा विनोद कुमार मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (लबासना) के निदेशक रहे। वे ही आदित्य के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। आदित्य कहते हैं कि उन्होंने कभी कोचिंग से तैयारी नहीं की। खुद पढ़ाई पर जोर दिया। प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद वैकल्पिक विषय के रूप में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का चयन किया। तैयारी के दौरान थोड़ी देर गाने सुनते और फिर पढ़ाई में जुट जाते थे। सिर्फ खाना खाने के लिए वह कमरे से निकलते थे।
सक्सेस मंत्र : समय लगेगा, धीरज न खोएं
आदित्य ने बताया कि उन्होंने पिछले साल में आए सवालों का जमकर अभ्यास किया। टेस्ट सीरिज हल करने से आत्मविश्वास बढ़ा। इसके साथ ही सिलेबस को देखकर उसे कवर करने की रणनीति बनाई। जो भी पढ़ा उसे बिलकुल स्पष्ट तौर पर तैयार किया। इससे परीक्षा में लिखना काफी आसान हो गया। आदित्य का कहना है कि सिविल सेवा की तैयारी काफी समय लेती है, इसलिए धैर्य न खोएं।
माता-पिता खोए, फिर भी जुटे रहे अनिमेष प्रधान, तालचेर (अंगुल), ओडिशा
कंप्यूटर साइंस में एनआईटी, राउकेला से बीटेक अनिमेष फिलहाल इंडियन ऑयल में ए ग्रेड के अधिकारी हैं। इन्फॉर्मेशन सिस्टम ऑफिसर के तौर पर दिल्ली में नियुक्त हैं। अमिनेष के पिता, प्रभाकर प्रधान का 2015 में निधन हो गया। उस समय अनिमेष 11वीं कक्षा में थे। इसके बाद उनकी मां अरुणा पात्रा ने ही उन्हें पढ़ाया लिखाया। अनिमेष ने बताया कि उनकी मां पिछले महीने ही कैंसर से निधन हो गया। तब सिविल सेवा परीक्षा के साक्षात्कार चल रहे थे। हालांकि, अनिमेष ने भावनात्मक रूप से तोड़ देने वाली इस घटना के बाद भी हिम्मत बनाए रखी और आत्मविश्वास के साथ सिविल सेवा परीक्षा का साक्षात्कार दिया। वे कहते हैं जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी के वक्त माता-पिता का साथ नहीं हैं, लेकिन यह सब उन्हीं की वजह से संभव हुआ है।
परिवार की पहली आईएएस बनी डोनुरू अनन्या रेड्डी, खुद से की तैयारी, पहले ही प्रयास में रचा इतिहास
छोटे से गांव पोन्नाकल की रहने वाली डोनुरू ने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर ली। वे अपने रिश्तेदारों में पहली लड़की हैं, जिसने यह मुकाम हासिल किया। भूगोल में दिल्ली विवि के मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की है। अनन्या के पिता उद्यमी हैं और मां गृहणी हैं। कहती हैं, उन्हें उम्मीद थी कि वे सिविल सेवा परीक्षा में कामयाब होंगी, लेकिन ऐसी कामयाबी की उम्मीद नहीं थी।
माता-पिता को दिया सरप्राइज
पीके सिद्धार्थ राजकुमार
कोच्चि, केरल
सिद्धार्थ राजकुमार पांचवें प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा, 2023 में चौथे स्थान पर आए हैं। फिलहाल, वे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के प्रशिक्षु अधिकारी हैं। 2019 में असफल रहे। 2020 में उन्हें रिजर्व लिस्ट में रखा गया। 2021 में 181वीं रैक मिली और आईपीएस के लिए चुने गए। 2022 में 121वीं रैंक मिली और फिर से आईपीएस के लिए चुने गए। आखिर में उन्हें इस बार आईएएस के लिए चुना गया है। उनके पिता कोच्चि के चिन्मया कॉलेज के प्रिंसपल रह चुके हैं। दिलचस्प बात यह सिद्धार्थ के परिवार में किसी को नहीं पता था कि उन्होंने इस बार भी सिविल सेवा परीक्षा दी है। पूरे परिवार के लिए यह एक बड़ा सरप्राइज था।
मेहनत और संकल्प का नाम सफलता
रुहानी
गुरुग्राम
आईपीएस अधिकारी रुहानी का यह दूसरा प्रयास था। रुहानी ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है। तीन वर्ष तक भारतीय आर्थिक सेवा की अधिकारी भी रह चुकी हैं। दो वर्ष तक उन्होंने नीति आयोग के लिए काम किया है। फिलहाल, वे प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी हैं। रुहानी कहती हैं कि दुनिया में कुछ भी हासिल करने के संकल्प और मेहनत लगती है।
रिजर्व बैंक की नौकरी के साथ की तैयारी
सृष्टि डबास
दिल्ली
फिलहाल रिजर्व बैंक के मुंबई स्थित मुख्यालय के मानव संसाधन विभाग में कार्यरत हैं। पहले ही प्रयास में कामयाबी। सृष्टि एक प्रशिक्षित कथक डांसर हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के साथ भी काम कर चुकी हैं। दिल्ली विवि से राजनीति विज्ञान में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया है। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी उन्होंने आरबीआई में काम करते हुए ही की थी। दिन में वे काम करती थीं और रात में पढ़ाई करती थीं।
बिना कोचिंग के हासिल की रैंक
कश्मीर के डोडा जिले के उड़राना गांव की रहने वाली अनमोल राठौड़ ने सिविल सेवा परीक्षा-2023 में 7वीं रैंक हासिल की है। यह उनका तीसरा प्रयास था। अनमोल ने स्कूली शिक्षा जम्मू के जीडी गोयनका स्कूल से ली। इसके बाद उन्होंने क्लैट के जरिये गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी ऑनर्स की डिग्री हासिल की है। 2021 में स्नातक के बाद 2022 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा में शीर्ष स्थान हासिल किया था। फिलहाल, वह जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा की प्रशिक्षु अधिकारी हैं। अनमोल ने स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही सिविल सेवा के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली है।
इंजीनियरिंग से ऊबे तो पहले प्रयास में ही बन गए आईएएस
आशीष कुमार
भरतपुर, राजस्थान
राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले आशीष कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा, 2023 में 8वां स्थान हासिल किया है। आशीष की स्कूली शिक्षा आगरा और जयपुर से हुई है। इसके बाद उन्होंने 2017 में आईआईटी खड़गपुर से डुअल डिग्री कार्यक्रम के तहत बीटेक और एमटेक की पढ़ाई पूरी की है। आशीष एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने करीब सात वर्षों तक निजी क्षेत्र की कंपनी कॉग्निजेंट में काम किया। सिविल सेवा परीक्षा में यह उनका पहला प्रयास था। आशीष कहते हैं, मौजूदा नौकरी में बहुत अच्छा पैसा मिल रहा था। लेकिन, संतोष नहीं था। वह बार-बार महसूस करते थे कि उन्हें कुछ ऐसा करना चाहिए, जो लोगों से जुड़ा हो, जहां वे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें। वह कहते हैं...सपने को साकार करने के लिए सिलेबस को हिसाब से नोट्स बनाए और उन्हें पूरा करने के लिए खास रणनीति बनाकर लगातार पढ़ाई की।
पांच साल की मेहनत से तीसरे प्रयास में सपना पूरा
नौशीन
गोरखपुर, यूपी
गोरखपुर की बेटी नौशीन ने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की। नौशीन ने अपनी स्कूली शिक्षा गोरखपुर में पूरी की और स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की है। नौशीन 2021 से ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी से यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी कर रही थीं। नौशीन अपनी सफलता का श्रेय जामिया आरसीए, अपने परिवार और दोस्तों को देती हैं। वहीं, उनके पिता अब्दुल कयूम कहते हैं, हमरा सपना आज पूरा हो गया है। मुझे उम्मीद थी कि बेटी एक-न-एक दिन अफसर जरूर बनेगी। वह आगे भी बेटी के प्रयासों को समर्थन देना जारी रखेंगे। पिता कहते हैं, विज्ञान की छात्रा होने के साथ इतिहास और निबंध में नौशीन की पकड़ जबरदस्त थी। इसे देखते हुए उन्होंने बेटी को इंजीनियरिंग करने के बजाय दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में बीए ऑनर्स करने के लिए भेज दिया।
पढ़ाई की खास रणनीति से पूरा हुआ बचपन का सपना
ऐश्वर्यम प्रजापति
महराजगंज, यूपी
ऐश्वर्यम कहती हैं कि 10वीं कक्षा के बाद से ही वह सिविल सेवा में जाना चाहती थीं। आज आखिर उनका सपना पूरा हो गया है। उनके पिता राम कमल प्रसाद आईसीसीएमआरटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वह कहती हैं...यूपीएससी की तैयारी अच्छी थी और पेपर भी अच्छा गया था, लेकिन 10वीं रैंक हासिल लूंगी, इस बारे में कभी नहीं सोचा था।
सक्सेस मंत्र : सीमित सोर्स से की तैयारी
अपनी सफलता के बारे में ऐश्वर्यम कहती हैं, यूपीएससी की तैयारी करने का मतलब यह नहीं है कि आप कितने घंटे पढ़ाई करते हैं। जरूरी यह है कि गुणवत्तापूर्ण कितने घंटे पढ़ाई की। ध्यान न भटके, इसलिए मैंने सीमित सोर्स के जरिये पढ़ाई की। उत्तर लिखने की प्रैक्टिस से काफी मदद मिली।