गरियाबंद : सरकार और प्रशासन शिक्षा को बेहतर बनाने का दावा तो करती है लेकिन आज भी कई विद्यालयों में समस्याओं का अंबार नजर आता है कहीं भवन की कमी तो कहीं शिक्षकों की कमी और ये समस्याएं कब तक पुरी तरह से दूर हो पाएगी ये सोचनीय है। स्वास्थ्य और शिक्षा की प्रमुखता की बात कहने वाली सरकार अब तक इन दोनों क्षेत्रों में कारगर सुधार नहीं कर पाई जिसमें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की समस्याएं कीसी से छीपी नहीं है।
ऐसे ही वनांचल क्षेत्र के बच्चों को एक अच्छी शिक्षा और सुविधा के लिए एकलव्य आवासीय विद्यालय मैनपुर में प्रारंभ किया गया है जिस विद्यालय के भवन निर्माण हेतु ग्राम छिंदौला में भूमि आवंटन किया गया था लेकिन उक्त भूमि पर पेड़ होने की वजह से वन विभाग ने आरेंज क्षेत्र घोषित किया है। जिसमें पेड़ की कटाई प्रतिबंधित होने की वजह से अब तक भवन निर्माण आरंभ नहीं हो पाया है। जिसके चलते वर्तमान में 100 सीट वाले भुंजिया कन्या आश्रम पीपरछेड़ी, गरियाबंद में संचालित है। जिसमें क्षमता के दोगुना से भी अधिक बच्चे भवन में अध्यनरत एवं निवासरत होने व अपर्याप्त अध्ययन कक्ष, प्रयोगशाला,स्टोर कक्ष, पुस्तकालय, सभागार कक्ष, टायलेट, स्नानागार कक्ष,आदि का आभाव के चलते कक्षा छठवीं में 2024-25 में 60 नवीन छात्र छात्राओं को प्रवेश दिया जाना संभव नहीं हो पाना बताया जा रहा है। वहीं वर्तमान में संचालित भवन में अतिरिक्त भवन में फेब्रिकेटेड अतिरिक्त कक्ष निर्माण की स्वीकृति दी गई है लेकिन अब तक कार्य आदेश के आभाव में कार्य आरंभ नहीं हो पाया है।
हालांकि विद्यालय के प्राचार्य के द्वारा शासन स्तर पर लिखित में इन समस्याओं की जानकारी भी दी गई है वहीं ग्रामवासी और क्षेत्रवासियों के द्वारा क्षेत्रीय विधायक जनक ध्रुव को भी बुलाकर इन समस्याओं से रूबरू कराया गया था साथ ही जिला कलेक्टर दीपक अग्रवाल भी 7 फरवरी 2024 को विद्यालय पहुंचकर निरीक्षण करते हुए समस्याओं से रूबरू हुए थे। पालकों के द्वारा भी कई बार इन समस्याओं को लेकर प्रशासन स्तर पर जानकारी देते हुए समस्याओं को दूर करने की मांग की गई है लेकिन अब तक समस्याओं का निदान नहीं हो पाया है।
इस विद्यालय के अध्यक्ष स्वयं जिला कलेक्टर हैं वहीं संचालन आयुक्त के माध्यम से होता है और जानकारों की मानें तो इस विद्यालय के लिए फंड आबंटन केंद्र सरकार की ओर से होती है और जब तक इसके लिए केंद्र सरकार से राशि आवंटित नहीं होती है तब तक यह समस्या दुर हो पाना संभव नहीं होना बताया जाता है।
वहीं नये सत्र में पालकगण इन समस्याओं के निदान नहीं होने के चलते और बच्चों की परेशानियों को देखते हुए जिला मुख्यालय गरियाबंद में धरने पर बैठने की तैयारी की बात कह रहे हैं। और समस्याओं का निदान नहीं होने से नवीन सत्र में प्रवेश नहीं मिल पाने से कई बच्चे यहां पढ़ाई करने से वंचित हो जाएंगे ये बड़ी सोचनीय विषय है जिसे सरकार और प्रशासन को गंभीरता से लेते हुए समस्याओं का निदान करना चाहिए।